आज़ादी के ७० वर्ष से भी ज्यादा बीत जाने के बावजूद भी नहीं सुधरती दिख रही इस गाँव की स्तिथि .

जनपद टिहरी के विकाशखंड भिलंगना में बसा है कांगड़ा गाँव. यह गाँव सड़क मार्ग से लगभग ८-१० किलोमीटर पैदल एक दम खड़ी पहाड़ी की चढ़ाई पर स्थित है शायद यही कारण है की आज तक भी यहाँ की स्थिती नहीं सुधरती नजर आ रही है. आज तक चुने गए कोई जनप्रतिनिधि यहाँ  लोगों के मापदंडो पर खरे नहीं उतर पाए हैं.

जबकि लोगों का कहना है की उन्होंने हर बार सिर्फ और सिर्फ बीजेपी के प्रत्यासी को वोट दिया है और सरकार भी बावजूद इसके उनकी स्थिती फिर भी नही सुधर रही है.

इस गाँव की आबादी लगभग १२०० से ऊपर बताई जाती है जिसमे से ९०० से ज्यादा वोटरों की संख्या है.

सबसे बड़ी बात यह है की बीजेपी बाहुबल्या  गाँव होने के बावजूद भी आज तक यह गाँव हर तरह की सुविधावों से महरूम है.

हर साल लोग यहाँ से पलायन कर रहे हैं जिसका मुख्या कारण है यहाँ पर सुविधावों का न होना.

हमारी टीम और शायद मीडिया की यह पहली पहल है जब कोई पैदल ८ किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करके कांगड़ा गाँव गया और वहां के लोगों से वहां की समस्या के बारे में रूबरू हुआ.

आधार कार्ड आज के समय का सबसे अनिवार्य अंग बन चूका है परन्तु वे लोग क्या करें जो आज भी पैदल मार्ग पर हैं और जहां जाने से सरकारी  मुलाजिम अपने पैर पीछे कर देते हैं.

इस गाँव के महिला और पुरुष सबका कहना है की वे मनरेगा के कई काम कर चुके हैं बावजूद इसके उनके खाते में पिछले २-३ साल से पैसे नहीं आ रहे हैं जिसका वह सीधा सीधा आरोप ग्राम प्रधान पर लगा देते हैं की ग्राम प्रधान उनका गबन कर रहा है जबकि हकीकत इसके उलट है.

हमारी टीम के द्वारा जब वहां के लोगों के आधार कार्ड और बैंक खातों का मिलान किया गया तो पता चला की वहाँ के लोगों के आधार कार्ड पर अंकित नाम उनके बैंक खतों से बिलकुल भी मेल नहीं खा रहे थे.

पहली बार अपने  क्षेत्र में मीडिया और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण टिहरी  गढ़वाल के सदस्यों को अपने क्षेत्र में आया देख लोगों को इस बात का अहसास हो गया की कोई तो है जो उनकी सुध लेने इस गाँव में आया हैं वरना तो जैसे सरकरी मशीनरी उनको भूल सी गयी है . कोई भी इस दूरस्थ सुविधा विहीन गाँव में नहीं आना चाहता हैं.

गाँव की महिलावों का कहना है की वे आज २१ वीं शताब्दी में भी पशु के जैसे अपना जीवन यापन कर रहे है न वे शिक्षित हैं ना ही उनकी आज की पीढ़ी शिक्षित हो पा रही है ज्सिका उन्हें बहुत मलाल है.

सोहन सिंह और गाँव की कई महिलावों ने अपनी व्यथा कहते हुवे कहा की आधार कार्ड आज उनके लिए मुसीबत बन गया है जिसकी वजह से गाँव के बुजुर्ग , बच्चे और महिलाएं बहुत परेसान है .

आधार कार्ड में त्रुटियाँ होने की वजह से उनके द्वारा मनरेगा  में किये गए कार्यों के पैसे नहीं मिल रहे हैं साठी साथ कई बुजुर्ग और विकलांग लोगों की उनकी पेंशन भी एक दो साल से नहीं मिल रही है.

गाँव में ४५ वर्षीय एक दिव्यांग  महिला जिसका जीविका का सहारा केवल विकलांग पेंशन थी उसका कहना है की आधार कार्ड के आभाव में वह भी अब बंद हो चुकी है और उसका आधार कार्ड इसलिए नहीं बन पा रहा है की वह दाहिने  हाथ से दिव्यांग है और उसकी दाहिने हाथ में उंगलिया नहीं है जिसकी वजह से उसका आधार कार्ड अभी तक नहीं बन पाया है.

कांगड़ा गाँव के ही एक दिव्यांग नौजवान युवक जो हाथ और पैर दोनों से दिव्यांग है ने कहा की उसकी भी पेंशन खतरे में पड़ गयी है जबकि वह चलने फिरने में भी असमर्थ है. उसके भी दाहिने हाथ में ३ उंगलियाँ नहीं है जिस वजह से उसके आधार कार्ड में त्रुटियाँ आ रही है और वह अधूरा है.

ऐसे में सवाल उठता है की एक तरफ सरकार की तरफ से जारी सूचना के अनुसार सभी को ३१ मार्च २०१८ तक सरकारी और अन्य कई योजनाओं में आधार कार्ड लिंक करने की बात अनिवार्य रूप से कही जा रही है वहीँ ऐसे दिव्यांग लोग जो हाथ और पैर से दिव्यांग है कैसे आधार कार्ड बनायेंगे कैसे वे लोग फिर से विकलांग पेंशन की योजना का लाभ उठा पायेंगे और अपनी जीवन की गाडी पटरी पर ले जा सकेंगे.

गाँव की ही एक बुजुर्ग महिला ने जनप्रतिनिधियों पर भी जमकर भड़ास निकली उनका कहना था की जनप्रतिनिधि केवल चुनाव के वक़्त ही यहाँ दिकह्यी देते हैं हैं उसके बाद उनका कोई भी पता नहीं चलता है की वे कहाँ है चुनाव के समय तो वे बहुत चिकनी चुपड़ी बात करते हैं बड़े हाथ–पैर  जोड़ते है परन्तु उसके बाद वे वापस लोगों के सुख दुःख देखने नहीं आते हैं की वे कैसे है और किस हाल में जी रहे हैं.

एक तरफ सड़क मार्ग से ८-१० किलोमीटर दूर बसा यह सुदूर गाँव दूसरी तरफ शाशन में बैठे लोगों द्वारा उनकी  अनदेखी और ऊपर से आधार कार्ड जैसे सुविधा से महरूम  होना कहीं का नहीं शाशन की व्यवस्था और चुने गए जनप्रतिनिधियों की कार्य करने की शैली पर सवाल उठाता है की ऐसे में पहाड़ से पलायन नहीं होगा तो किया होगा कैसे बदलेगी यहाँ की तस्वीर यहाँ की व्यवस्था जब जनप्रतिनिधि ही अपने लोगों के प्रति निष्ठावान नहीं हैं .

लोगों ने जल्द से जल्द उनके गाँव कांगड़ा में आधार कार्ड कैंप लगाने की गुहार लगाई है.

जल्द से जल्द लोगों की समस्याएं सुलझे यही हमारा प्रयास है.

By admin

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