घनसाली :-
सैनकों के सम्मान में बड़ी बड़ी कसीदे पढने वाली सूबे की सरकार , एक तरफ जहाँ पलायन रोकने के बड़े बड़े दावों की बात कर रही है वहीँ दूसरी तरफ घनसाली विधानसभा के घनसाली में २०१२-३  में शुरू हुआ  सैनिक आवास गृह घनसाली का निर्माण कार्य पिछले २ साल से लंबित पड़ा हुआ है.
५ साल से ज्यादा का समय इस कार्य को हो चुके है पर अभी तक यह कार्य पूरा नहीं हो पाया  है.
एक तरफ सरकारी पैसे का दुरपयोग दुसरा सरकारी संपदा को देरी की वजह से हो रहा नुक्सान और ऊपर से विधानसभा के पूर्व सैनिकों और परिवारों के लिए किये जा रहे  कार्यों  के लिए सरकार की कथनी
और करने में अन्तर होना ,
निश्चित तौर पर यह पूर्व सैनकों के मन में अशंतोस पैदा कर रहा है जिसका जीत जागता उदहारण है  जीतमणि रतूड़ी और प्रेम लाल त्रिकोटिया के उदगार .
एक तरफ घनसाली में आयोजित सहकारिता मेले में सूबे के मुख्यमंत्री जी सैनिकों के बारे में बड़ी बड़ी बातें बोल गए वहीँ ये उदाशीनता निश्चित तौर पर सैनिकों के विकास उठा रही है.

सरकार द्वारा देहरादून जसी क्षेत्र में अगर एक आध कार्य क्रम सैनिकों को लुभाने के लिए अगर किये गए हों तो क्या वे पहाड़ में रहने वालों सैनिक परिवारों को कुछ दिलासा डे पायेंगे. देहरादून तो पिछले १७ सालों से कार्यक्रम आयोजित होते आ रहे हैं पर पहाड़ में कोई भी नेता या जनप्रतिनिधि सैनिकों के सम्मान में कोई कार्य न कर रहा है ना ही करने की सोच रहा है.
पूर्व सैनिक जीतमणि  तिवारी  ने सरकार को जमकर कोसा की सरकार विकास के नाम पर कुछ भी नहीं कर पा रही है , ऊपर से एक सैनिक आवास गृह भी सरकार की उपेक्षा का शिकार हो गया है. अमजे की बात यह है की यह सैनिक गृह ऐसी जगह पर स्थित है जहाँ से होकर घनसाली विधानसभा में हर आने जाने वाले की गाडी जाती है पर रह जाती है तो वह परखी नजर जो सैनिकों का दुःख दर्द  देख सके.
इस सैनिक आवास के संदर्भ में पूर्व नौसैनिक हर्षमणि उनियाल द्वारा बालगंगा  लाटा तहसील और घनसाली तहसील दिवस दोनों के दौरान  टिहरी गढ़वाल के  डीएम के समूख अपनी शिकायत रख कर जल्द उक्त सैनिक आवास गृह का निर्माण कार्य शुरू करवाने का प्रार्थना पात्र दिया गया पर अभी तक भी उस कार्य में कोई प्रगति नहीं हई है.

जबकि ९६ लाख के बजट वाले इस कार्य के लिए पेयजल निर्माण निगम इकाई को लघभग ६० लाकह रुपये निर्गत किये जा चुके हैं.

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