केदारखण्ड के क्षेत्राधिपति बाबा अष्टभैरवेश्वर का मन्दिर धवल गिरी ऊखीमठ में स्थित हैं ! क्षेत्राधिपति बाबा अष्टभैरवेश्वर
भैरव मूर्ती का अस्तित्व खतरे में i
यह धवल गिरी स्थान पूर्व समय से ही उत्तराखंड के मानचित्र पर अपनी विशिष्ट पहचान रखता है !
बाबा अष्टभैरवेश्वर की पूजा प्राचीन काल से ही ऊखीमठ धवल गिरी में ममगांई विप्रजनों द्वारा सम्पन्न होती आ रही थी किन्तु इस मंदिर पर अनेकों आतताइयों ने आक्रमण कर मन्दिर को ध्वस्त कर दिया और मूर्ति को चुराने के अनेकों प्रयास किये !
इसी कारण 1605 में ऊखीमठ क्षेत्र के 52 जुला ग्रामों के लोगों द्वारा मूर्ति को समाधि दी गयी थी ताकि बाबा की मूर्ति सुरक्षित रहे !
और यह समाधि 411 वर्षों तक कि दी गयी जो कि पिछले वर्ष 2016 में खुली !इसके पश्चात 23 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक बाबा 2016 में यात्रा पर भी गए और अब अगले वर्ष 412 वर्षों पश्चात बाबा की महाराजजात यात्रा होने जा रही है जिसको बन्याथ के नाम से भी जानते हैं !
23 वर्ष के दीपक कुंवर ममगांई जी उस भण्डार के वर्तमान अर्चक तथा संरक्षक हैं !
क्योंकि समाधि के पश्चात से मूर्ति इन्हीं के आवास स्थान धवल गिरी पर रहती हैं तथा यही नित्य भोग तथा पूजा बाबा को देते हैं !
बाबा की यह मूर्ति प्राचीन तथा अनेकों चमत्कारी शक्तियों से भरी हुई है और इस मूर्ति की शक्ति के कारण ही प्राचीन समय से लोग इस को चुराने के प्रयास करने लगे थे किंतु उनके हर प्रयास विफल सिद्ध हुए !
1605 से 2016 तक मूर्ति समाधि में ही रही और इस बीच मूर्ति सुरक्षित रही , किन्तु 2016 के पश्चात जैंसे ही मूर्ति समाधि से जागृत हुई और उसकी विधिवत पूजा होने लगी तो उसकी शक्ति पुनः अपने स्वरूप में बढ़ गयी और कई प्रकार के चमत्कार मूर्ति द्वारा सम्पन्न होते हैं !
किन्तु दुःख की बात यह है कि कुछ धर्म के ठेकेदारों के कानों में भी यह खबर पड़ गयी कि मूर्ति पुनः समाधि से बाहर आ चुकी है तो उन्होंने अनेकों प्रयास उस मूर्ति को हासिल करने के किये और अभी भी पूर्व भैरवगद्दी पीठाधीश्वर श्री भैरवदत्त ममगांई जी के प्रपौत्र श्री दीपक कुंवर ममगांई जी को कई बार इनके सन्देश और फ़ोन आते हैं कि हम इस मूर्ति को खरीदना चाहते हैं !
इस सूचि में महंत से लेकर तांत्रिक और संग्रहकर्ता सम्मिलित हैं !
इन सभी द्वारा समय समय पर मूर्ति को दे देने की बाते कही जाती हैं , किन्तु उनकी बात को दीपक जी सदा नकार देते हैं !
हर कोई इस मूर्ति के पीछे पड़ा है और कोई कोई यह भी कहतें हैं कि इस मूर्ति के बदले हम बिल्कुल इसी जैंसे दिखने वाली मूर्ति देते हैं और साथ में धन भी किंतु आप हमें वही असली प्राचीन मूर्ति दे दें !
क्योंकि उनको इस मूर्ति की शक्ति से मतलब है अन्य किसी और चीज से उनका कोई मतलब नहीं !
लोगों को इस मूर्ति की महत्ता समझनी होगी क्योंकि बाबा अष्टभैरवेश्वर समस्त केदारखण्ड के क्षेत्राधिपति हैं और वे केदारखण्ड के रक्षक भी हैं ऐंसे में यह मूर्ति केदारखण्ड के लिए कितनी आवश्यक है यह भी समझना होगा !
मूर्ति धवल गिरी में ही रहे और ऐंसे पापियों की मूर्ति को नजर भी न लगे यही केदारखण्ड वासी चाहते हैं !
बाबा की यह मूर्ति समस्त केदारखण्ड के लिए आस्था का विशिष्ट स्थान रखती है और इसलिए इस मूर्ति के संरक्षण के लिए सभी केदारखण्ड वासियों के साथ की आवश्यकता है !
मूर्ति के पीछे एक 2 , या कुछ नहीं बल्कि बहुत लोग पड़े हैं किंतु हमारा उद्देश्य मूर्ति के प्रति लोगों को सचेत करना है कि इस मूर्ति की क्या उपयोगिता है !
मूर्ति सुरक्षित धवल गिरी में ही रहे इससे अधिक और कुछ नहीं चाहिए और ऐंसे लोगों से मूर्ति सुरक्षित रहे यही हम सभी चाहते हैं ! प्रमाणिकता के तौर पर उपलब्ध कराये गए कुछ व्हाट्सअप स्क्रीनशॉट