घनसाली विधानसभा:– स्वर्गीय डॉ वाचस्पति मैठाणी की तपोस्थली कर्मभूमि राजकीय इंटर कॉलेज केमरा केमर आज बदहाली के आंसू बहा रहा है. २८ मई २०१६ की आपदा ने जो जख्म दिए वो आजतक नहीं भरे.
आज उत्तराखंड राज्य का स्थापना दिवस भी है और १७ साल बीतने पर क्यों हालत और खराब हो रहे सरकारी स्कूलों के .
जिस कॉलेज को बसाने और बनाने के लिए पता नहीं कितने लोगों की रात दिन और बरसों की मेहनत थी वह आज बदहाल फटेहाल स्थिती में है.
जिस कॉलेज के लिए स्वर्गीय डॉ मैथानी ने अपना तनमन धन समर्पित कर स्थानीय लोगों की सहायता से सन ८० के दशक में एक मुकाम दिया था ,आज वही जर्जर और जीर्ण शीर्ण बन चूका है. इस कॉलेज में आज कुल २१६ छात्र – छात्राएं अध्यन्रत्त है .जिसमे ११५ छातार्यें तथा १०१ छात्र अध्यनरत हैं .कभी ६०० से भी ऊपर का आंकड़ा पार करने वाले इस स्कूल की छात्र संख्या गिरती जा रही जो अपने आप में एक सोचनीय बात है जिसका जव्वाब शायद यहाँ की खस्ता हालात देखकर आप खुद लगा सकते हैं की इसके पीछे की कारण क्या हैं.
कभी इसी इंटर कॉलेज के नाम की चर्चा हर जगह होती थी पर आज संशाधनो की पूर्ती न होने के कारण उसका अस्तित्व धूमिल होता जा रहा है.
स्कूल की आज की मुख्य समस्याएं है कक्षा-कक्ष के साथ साथ , शौचालय की समुचित व्यवस्था का न होना , स्कूल में अध्यनरत छात्र – छात्राओं के बयान के अनुसार इस कॉलेज में केवल एक ही शौचालय है वह भी बुरी दशा में है. राजकीय इंटर कॉलेज परिसर में २१६ छात्र -छात्रों पर सिर्फ एक ही शौचालय होना सचमुच में कमाल का विषय है , अपने आप में एक चौंकाने वाला समीकरण है.
केसे होगा प्रधान मंत्री जी का स्वच्छ भारत का सपना पूरा जब सरकारी क्षेत्र के इंटर कॉलेज की ऐसी हालात हैं.
एक तरफ जहाँ सरकारी मशीनरी द्वारा प्राइवेट स्कूलों के लिए भारी भरकम नियम कानून लादे गए हों जहाँ पर हर तरह के शौचालय की व्यवस्था की बात की जा रही हो वहीँ ८० के दशक से संचालित हो रहे शिक्षा के केंद्र रहे केमरा राजकीय इंटर कॉलेज में सिर्फ एक शौचालय का होना क्या साबित कर रहा है , आप खुद अनुमान लगा सकते हैं. छात्र-छात्र्वों के हितो का ध्यान न रख कर, सरकारी मशीनरी के कार्यों पर सवाल उठना लाज़मी है.
खुद क्षेत्र के खंड शिक्षा अधिकारी श्री अन्थ्वाल जी भी इस बात को कह रहे है की उन्होंने हर तरह से शाशन को इस बारे में लिखा है पर नतीजा आप लोगों के सामने है..
जन प्रतिनिधि ऐसे में क्या कार्य कर रहे और किन क्षेत्रों में कार्य कर रहे है या फिर केवल अपने-अपनों का खेल खेल कर जनता को गुमराह कर रहे है ये देखने वाली बात होगी.
फिलहाल सवाल यह है की स्वर्गीय डॉ मैठाणी की तपोस्थली कर्मभूमि कब तक ऐसे ही बदहाली के आंसू बहायेगी.
क्या वाकई डबल इंजन फ़ैल हो रहा है या हमारे जन प्रतिनिधि केवल क्षेत्रवाद को प्राथमिकता देकर कार्य कर रहे है.
जहां एक तरफ घनसाली विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक द्वारा लगभग ९६ लाख रुपये संघ द्वारा संचालित किये जाने वाले स्कूलों को दिए गए क्या वहीं अब सरकारी क्षेत्र के स्कूलों के लिए कोई जगह नहीं है. अपने आप में एक सोचनीय विषय है.
देखें विडियो खुद सुने छात्रों की जबानी , शिक्षक की जबानी , खंड शिक्षा अधिकारी की जबानी.