नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने जेपी बिल्डर को दिवालिया घोसित कर दिया है। कंपनी पर 8,365 करोड़ रुपये का कर्ज है।
अभी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल को जेपी इंफ्राटेक के पक्ष का इन्तजार है, जिन्हें 270 दिनों का वक़्त मिलेगा। मालूम हो की जेपी इंफ्राटेक के दिल्ली एनसीआर में 32 हज़ार फ्लैट हैं। इसका असर उन लोगों पर पड़ेगा जिन्होंने 32 हज़ार फ्लैट्स खरीदने के पैसे लगाये थे।

आपको बता दें कि जेपी इंफ्राटेक के पूरे दिल्ली एनसीआर में 32 हजार फ्लैट्स हैं। इसका असर उन लोगों पर बहुत अधिक पड़ेगा, जिन्होंने इन 32 हजार फ्लैट्स खरीदने के लिए पैसे लगाए थे। जेपी के दिवालिया घोषित होने से कंपनी के साथ-साथ घर खरीदने वाले भी दिक्कत में पड़ सकते हैं।

ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच ने आईडीबीआई बैंक की याचिका को स्वीकार किया और जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित कर दिया। इंसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड के तहत जब एनसीएलटी में कोई केस स्वीकृत हो जाता है, उसके बाद 180 दिनों के अंदर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारनी होती है। इस अवधि को 90 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। अगर इसके बाद भी कंपनी की आर्थिक स्थिति नहीं सुधरती को कंपनी के असेट्स को नीलाम कर दिया जाएगा।

जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड उन 12 खातों में से एक है, जिन्हें दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया के लिए चुना गया था। आपको बता दें कि कुछ समय पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के एनपीए को कम करने की दिशा में कार्रवाई करते हुए 12 डिफॉल्टर्स की पहचान की थी। इन 12 खातेदारों पर बैंकों का करीब 5000 करोड़ रुपए से भी अधिक बकाया था। कुल एनपीए का 25 फीसदी इन 12 खातेदारों के नाम पर था। इन्हीं 12 खातेदारों में से एक है जेपी इंफ्राटेक।

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