हिमालयन इलाकों को एशिया का वाटर टावर कहा जाता है,लेकिन यहां भी पानी का संकट बढ़ रहा है।
शिमला. दुनिया का सबसे ऊंचा गांव कोमिक पानी के संकट के से जूझ रहा है। यहां लोग आजीविका के लिए मटर और जौ की खेती करते हैं, लेकिन झरने, नदियां और तालाब सूखने की वजह से फसलों के लिए उन्हें पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि 15050 फीट की ऊंचाई पर स्थित कोमिक दुनिया का सबसे ऊंचा ऐसा गांव है, जहां सड़क भी है। यहां 130 लोग रहते हैं। वहीं स्पीति घाटी में करीब 12 हजार लोग रहते हैं। अब यहां पानी पहले से कम है- ग्रामीण…

– 32 साल के नावांग फुनचोक ने न्यूज एजेंसी से कहा, “हम लोग ऐसे वीरान और बीहड़ इलाके में रहने के आदी हैं। जिंदगी जीने के लिए हमारे पारंपरिक तरीके हैं। लेकिन, आजकल पानी वैसे नहीं मिल रहा है, जैसे पहले कभी मिला करता था। मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। अब पहले के मुकाबले पानी कम मिलता है।”

– फुनचोक गांव के मैदान में सूखी घास के बंडल बना रहे थे ताकि लोकल मॉनेस्ट्री की छत को उससे ढंका जा सके।

6 महीने संपर्क कटा रहता है
– स्पीति वैली में रहने वालों का संपर्क करीब 6 महीने तक पूरे देश से कटा रहता है।
– इस दौरान बर्फबारी की वजह से यहां की सड़कें बंद हो जाती हैं। मोबाइल और इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं हो पाता। इसके अलावा स्कूल और क्लीनिक जाने के लिए भी मुश्किल रास्तों से गुजरना पड़ता है।

वाटर टावर्स को भी मदद की जरूरत
– संरक्षण करने वालों के मुताबिक, भूजल के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल, सिंचाई की अप्रभावी और ज्यादा बर्बादी करने वाले तरीके, सतह पर मौजूद पानी में पॉल्यूशन और मौसम में आए बदलाव की वजह से हिंदुस्तान के कई मैदानी इलाकों में सूखे की समस्याएं सामने आती हैं।
– लेकिन, इसके साथ ही एशिया के वाटर टावर कहे जाने वाले हिमालयन इलाकों में भी पानी की समस्या सामने आ रही है और इन्हें भी मदद की जरूरत है।

मुश्किल में देश की ब्रेड बास्केट भी

– वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट के मुताबिक, भारत सरकार को 50% चावल और 85% गेहूं् की सप्लाई करने वाले पंजाब और हरियाणा में भी पानी का बड़ा संकट है। अपनी बड़ी नदियों के बावजूद भारत दुनिया का सबसे बड़ा पानी के संकट से प्रभावित देश है।
– देश के 50% कूओं में पिछले एक दशक के दौरान पानी की कमी दर्ज की गई है। नदियों, तालाबों, झीलों और झरनों का पानी गंदगी और सीवेज की वजह से 85% तक पॉल्यूटेड हो चुका है।

6.3 करोड़ लोगों को नहीं मिलता साफ पानी

– wateraid के मुताबिक देश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 6.3 करोड़ लोगों को साफ पीने का पानी नहीं मिल पाता है। ये आबादी ब्रिटेन की जनसंख्या के बराबर है। 7.6 करोड़ लोगों को पानी के अच्छे संसाधनों की जरूरत है और 77 करोड़ लोगों को टॉयलेट्स की जरूरत है।

सूखते ग्लेशियर्स से नदियों को संकट
– पर्यावरणविदों के मुताबिक इंडिया के मैदानी इलाकों में जहां पॉपुलेशन बहुत ज्यादा है, वहां फोकस हो रहा है। लेकिन, दूरदराज के हिमालयन इलाकों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।- केवल हिमालयन बेल्ट में फूड, वाटर और एनर्जी सिक्युटिरी की जरूरत नहीं है। पूरे एशिया में करीब एक अरब लोगों को भी है, जो गंगा, यांगते और मेकॉन्ग जैसी नदियों पर निर्भर हैं। ये नदियां ग्लेशियर्स पर निर्भर हैं, जिन पर संकट मंडरा रहा है।
– पिघलते ग्लेशियर्स, बेमौसम और बहुत ज्यादा बारिश, बढ़ता तापमान क्लाइमेट चेंज के निशान हैं और ये अपनी कीमत वसूल रहे हैं। इनके साफ निशान स्पीति घाटी में देखे जा सकते हैं।

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