प्रथम केदार बेलेश्वर मंदिर का मुख्या धाम केमर घाटी के बेलेश्वर गाँव में स्थित है.
ऐसा माना जाता है की यह मंदिर पांडवो ने बनाया था इस मंदिर को प्रथम केदार बेलेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है.
ऐसी पौराणिक मान्यता है की इस मंदिर में आने वालो कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता. निशान्तान दम्पतियों की कोख भरने वाले है यहाँ स्थित महादेव जिसके कई प्रणाम यहाँ पर आने वालो भक्त खुद अपने मुह से देते हैं.
परन्तु आज इस मंदिर की प्रतिष्ठा को कहीं ना कहीं लोगों के कथनानुसार ,मंदिर सिमिति के लोगों द्वारा सही कार्य प्रणाली न अपनाने के कारण तथा कहीं न कहीं समिति के ढुलमूल रेवैये के कारण लोगों ने खुली बैठक में समिति के पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाये.
वही मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने अष्टादश महापुराण समिति के लोगों से उनके पास बचे हुवे पैसों की मांग मंदिर के अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए किया.
जिस पर अष्टादश मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने बैठक में यह बात कही की की बचे हुवे २१ लाख रुपये के लिए लोगों से बात चल रही है ,जिसको केवल और केवल लोककल्याणकारी कार्य पर खर्च किये जायेंगे जहाँ पर सर्वंमती होगी वही पर इस पैसे का सदुपयोग किया जाएगा लोगों का पैसा पूरी तरह सुरक्षित है।
सबसे बड़ा सवाल यह उठा की जब मंदिर समिति का रजिस्ट्रेशन २० जून २०१७ को समाप्त हो गया था तो उसको नवीनीकरण अभी तक क्यों नहीं किया गया और समिति अपने हिसाब किताब को अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है और क्यों समिति के चुनाव नहीं कराये जा रहे है क्यों लोगों को अँधेरे में रखा जा रहा है. लोगों के अनुसार या तो दाल में कुछ काला है या पूरी दाल ही काली है.
लोगों ने बैठक में १ लाख ६५ हज़ार का रंग रोगन का मुद्दा भी उठाया , जिसकी जानकरी मंदिर समिति के लोग सही जानकारी नहीं दे पा रहे थे और विकाश ज्वेलर द्वारा उक्त पैसे का भुगतान किया गया था और जिस मजदूर ने रंगरोगन के कार्य को अंजाम दिया उसका भुगतान अभी तक नहीं किया गया है , फिर पैसा कहाँ चला गया इस बात का जवाब सभी चाह रहे थे पर जवाब किसि को मिला नहीं.
पता नहीं ऐसे कितने मुद्दे हैं जिन सवालों के जवाब सभी जनता जनार्दन जानना चाहते है परन्तु जवाब देने को कोई ढंग से तैयार ही नहीं हो रहा है या कोई देना ही नहीं चाहता .
मंदिर समिति की तरफ से बैठक में केवल कोषाध्यक्ष विशेश्वर प्रसाद जोशी , कार्यकारी अध्यक्ष उम्मीद सिंह नेगी मौजूद थे, शूरवीर सिंह रावत मौजूद रहे जबकि मंदिर समिति के अध्यक्ष चन्द्र किशोरे मैथानी उक्त बैठक में उपस्थित नहीं थे.
वेलिराम तिवारी के अनुसार उन्होंने सभी समिति के सदस्यों को बैठक के लिए विभिन्न तरीकों से सन्देश भेजा था.