घनसाली विधानसभा:-
घनसाली विधानसभा के सेंदुल ,किरेथ-पतुडगाँव मोटर मार्ग की हालत बयान करती है की घनसाली विधानसभा के अंतर्गत कितना और कैसे विकास हो रहा है.
यह सड़क पिछल्ले २ सालों से बदहाली की हालत में हैं और रोजाना इस पर गुजरने वाले वाहन चालक और सवारियों का जीवन किस कदर खतरे से भरा हुआ है यह आपको विडियो और लोगों के बयान से साफ़ पता चल जाएगा.
इस सड़क का अनुरक्षण कार्य जैसे की सड़क मार्ग के सूचना बोर्ड पर अंकित है इस सड़क का अनुरक्षण कार्य 22 सितम्बर 2014 को शुरू हुवा था जिसकी अवधि 21 सितम्बर 2019 तक की है।
सूचना बोर्ड पर अंकित सूचना के अनुसार इसके ठेकेदार का नाम राजीव कंडारी, पता 23/1 लेन 3 शाश्त्री नगर देहरादून है ।इस सड़क की स्थिति पिछले साल आई आपदा 28 मई 2016 के बाद बहुत ख़राब हो गयी है, विभाग द्वारा केवल इसे बंद पड़ी जगह से खुलवाया जाता रहा है बाकी और किसी और कोई ध्यान नहीं दिया गया है। इस गोल मोल द्वारे किये जाने वाले कार्यों में कितना पैसा खर्चा किया गया है या आया होगा ये विभग की अधिकारी ही साफ़ कर सकते हैं.
हालंकि पिछले दो सालों से इसका वास्तविक कोई अनुरक्षण नहीं किया जा रहा , सड़क की हालात इतनी ख़राब है की कोई कह नहीं सकता की यह प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना का हिस्सा है।
ऐसी सड़क जो प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के नाम पर बनी है अगर उसकी यह हालात पिछले दो साल से है तो आप समझ सकते है की अन्य जगह की सडको का क्या हाल होगा . जिस सड़क योजना के सबसे बढ़िया होने के दावे किये जा रहे हों और वह पिछले दो साल से जीर्ण शीर्ण हालत में हो तो आप विकास का अंदाजा खुद ही लगा सकते हैं. अगर थोड़ी भी बरसात हो जाए तो यह सड़क बहुत ही भयानक स्थिति में आ जाती है, परन्तु जनाब लोगों की मजबूरी तो देखिये उन्हें तो अपने घर जाना ही जाना होता है लिहाज़ा वे किसी भी खतरे का जोखिम उठा कर इस सड़क मार्ग पर यात्रा करते हैं.
हर रोज किरेथ , पटुडगाँव और अन्य तमाम दूर दराज के लोग भय के साये में इस सड़क से रास्ता तय करते हैं और अपने इष्ट देवताओं को यार करते हुए सफ़र तय करते हैं. गनगर/बहेड़ी के पूर्व प्रधान विशेश्वर प्रसाद जोशी ने सरकार की कथनी और करनी में अन्तर बताया.
सेंदुल /सारांशगाँव के पास सड़क का प्रवेश द्वारा ही आपको बता देगा की आगे की स्थिति कितनी सही है जितना आप इस मोटर मार्ग पर आगे चलते जाएंगे उतने ही हालात और ख़राब होते जाते है।
सड़क की सही स्थिति न होने के कारण आज इसके नीचेजितने भी गाँव बसे हैं वे गाँववासी डर के साये में जीते है। कोथियारा गाँव को तो २८ मई की आपदा के बाद पूरा ही पलायन कर चूका है .
इस सड़क के सन्दर्भ में सहायक अभियंता अभिनव कुमार से सितम्बर महीने में हई वार्ता के अनुसार पुराने ठेकेदार ने इसका अनुरक्षण कार्य नहीं किया , अब पुराने ठेकेदार से यह कार्य नहीं करवाया जा रहा है। क्यों पुराने ठेकेदार ने यह कार्य नहीं किया इसका कारण पता नहीं चल पाया, विभाग ने इस बारे में कुछ साफ़ नहीं बताया।
उनका कहना था की यह मामला शाशन प्रशाशन यहाँ तक की मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में भी है परन्तु इसके बावजूद भी अगर इसकी बुरी स्थिति है तो समझना होगा विकास के मायने को।
कार्य दाई विभाग पीएम जी एस वाई के अधिकारी हर बार एक ही जवाब देती है की इसके लिए टेंडर अपलोड हो गए है बस तुरंत कार्य शरू हो जायेगा।
क्या विभाग किसी बड़ी अनहोनी का इन्तजार कर रहा है।
क्या डबल इंजन सरकार में यही है विकासवाद की परिभाषा है .
मजे की बात यह है की जिस ठेकेदार ने यह ठेका लिया था उसके कार्य छोड़ने पर उसके खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही भी नहीं हई और वह चुपचाप कार्य छोड़ कर चले गए . जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार की कथनी और करनी का मोल आपको इस सडक की आज की हालत देखकर पता चल जाएगा.
सूचना बोर्ड पर अंकित सूचना के अनुसार इसके ठेकेदार का नाम राजीव कंडारी, पता 23/1 लेन 3 शाश्त्री नगर देहरादून है ।इस सड़क की स्थिति पिछले साल आई आपदा 28 मई 2016 के बाद बहुत ख़राब हो गयी है, विभाग द्वारा केवल इसे बंद पड़ी जगह से खुलवाया जाता रहा है बाकी और किसी और कोई ध्यान नहीं दिया गया है। इस गोल मोल द्वारे किये जाने वाले कार्यों में कितना पैसा खर्चा किया गया है या आया होगा ये विभग की अधिकारी ही साफ़ कर सकते हैं.
हालंकि पिछले दो सालों से इसका वास्तविक कोई अनुरक्षण नहीं किया जा रहा , सड़क की हालात इतनी ख़राब है की कोई कह नहीं सकता की यह प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना का हिस्सा है।
ऐसी सड़क जो प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के नाम पर बनी है अगर उसकी यह हालात पिछले दो साल से है तो आप समझ सकते है की अन्य जगह की सडको का क्या हाल होगा . जिस सड़क योजना के सबसे बढ़िया होने के दावे किये जा रहे हों और वह पिछले दो साल से जीर्ण शीर्ण हालत में हो तो आप विकास का अंदाजा खुद ही लगा सकते हैं. अगर थोड़ी भी बरसात हो जाए तो यह सड़क बहुत ही भयानक स्थिति में आ जाती है, परन्तु जनाब लोगों की मजबूरी तो देखिये उन्हें तो अपने घर जाना ही जाना होता है लिहाज़ा वे किसी भी खतरे का जोखिम उठा कर इस सड़क मार्ग पर यात्रा करते हैं.
हर रोज किरेथ , पटुडगाँव और अन्य तमाम दूर दराज के लोग भय के साये में इस सड़क से रास्ता तय करते हैं और अपने इष्ट देवताओं को यार करते हुए सफ़र तय करते हैं. गनगर/बहेड़ी के पूर्व प्रधान विशेश्वर प्रसाद जोशी ने सरकार की कथनी और करनी में अन्तर बताया.
सेंदुल /सारांशगाँव के पास सड़क का प्रवेश द्वारा ही आपको बता देगा की आगे की स्थिति कितनी सही है जितना आप इस मोटर मार्ग पर आगे चलते जाएंगे उतने ही हालात और ख़राब होते जाते है।
सड़क की सही स्थिति न होने के कारण आज इसके नीचेजितने भी गाँव बसे हैं वे गाँववासी डर के साये में जीते है। कोथियारा गाँव को तो २८ मई की आपदा के बाद पूरा ही पलायन कर चूका है .
इस सड़क के सन्दर्भ में सहायक अभियंता अभिनव कुमार से सितम्बर महीने में हई वार्ता के अनुसार पुराने ठेकेदार ने इसका अनुरक्षण कार्य नहीं किया , अब पुराने ठेकेदार से यह कार्य नहीं करवाया जा रहा है। क्यों पुराने ठेकेदार ने यह कार्य नहीं किया इसका कारण पता नहीं चल पाया, विभाग ने इस बारे में कुछ साफ़ नहीं बताया।
उनका कहना था की यह मामला शाशन प्रशाशन यहाँ तक की मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में भी है परन्तु इसके बावजूद भी अगर इसकी बुरी स्थिति है तो समझना होगा विकास के मायने को।
कार्य दाई विभाग पीएम जी एस वाई के अधिकारी हर बार एक ही जवाब देती है की इसके लिए टेंडर अपलोड हो गए है बस तुरंत कार्य शरू हो जायेगा।
क्या विभाग किसी बड़ी अनहोनी का इन्तजार कर रहा है।
क्या डबल इंजन सरकार में यही है विकासवाद की परिभाषा है .
मजे की बात यह है की जिस ठेकेदार ने यह ठेका लिया था उसके कार्य छोड़ने पर उसके खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही भी नहीं हई और वह चुपचाप कार्य छोड़ कर चले गए . जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार की कथनी और करनी का मोल आपको इस सडक की आज की हालत देखकर पता चल जाएगा.