भगवान शिव बहुत ही आसानी से प्रसन्न होकर अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं लेकिन जितनी जल्दी भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं उतना ही उन्हें गुस्सा आने पर मनाना मुश्किल है। पुराणों के अनुसार सती की मृत्यु के बाद गुस्सा हुए भगवान शिव को पार्वती ने बड़ी ही मुश्किल से मनाया। पार्वती ने इसके लिए कठिन नियमों का पालन किया। अगर शिवजी को प्रसन्न करना हो तो शिवलिंग पर भांग-धतूरा, दूध, चंदन, और भस्म चढ़ाया जाता है। इसके साथ ही शिव पुराण के बताया गया है कि शिवलिंग पर अगर ये चीजें चढ़ाई जाएं तो इससे भगवान शिव रूष्ट होते हैं। क्या आपको पता है शिवलिंग पर किन चीजों को नहीं चढ़ाना चाहिए….
केतकी के फूल :-
एक बार ब्रह्माजी व विष्णु जी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है। ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता होने के कारण श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे और भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ कह रहे थे। तभी वहां एक विराट लिंग प्रकट हुआ। दोनों देवताओं ने सहमति से यह निश्चय किया गया कि जो इस लिंग के छोर का पहले पता लगाएगा उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा। अतः दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग की छोर ढूढंने निकले। छोर न मिलने के कारण विष्णुजी लौट आए। ब्रह्मा जी भी सफल नहीं हुए परंतु उन्होंने आकर विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पहुंच गए थे। उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया। ब्रह्मा जी के असत्य कहने पर स्वयं शिव वहां प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी का एक सिर काट दिया और केतकी के फूल को श्राप दिया कि पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं होगा और न ही ब्रह्माजी की पूजा की जाएगी। इसी कारण ब्रह्माजी की पूजा नही की जाती है।
तुलसी :-
शिवलिंग पर तुलसी की पत्ती नहीं चढ़ाई जाती हैं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जालंधर नाम का एक असुर था जिसे अपनी पत्नी की पवित्रता और विष्णु जी के कवच की वजह से अमर होने का वरदान मिला हुआ था। इसका फ़ायदा उठा कर वह दुनिया भर में आतंक मचा रहा था। उसके आतंक को रोकने के लिए भगवान विष्णु और भगवान शिव ने उसे मारने की योजना बनाई। पहले भगवान विष्णु से जालंधर से अपना कवच मांगा और इसके बाद भगवान विष्णु ने उसकी पत्नी की पवित्रता भांग की। जिससे भगवान शिव को जालंधर को मरने का मौका मिल गया। जब वृंदा को अपने पति जालंधर की मृत्यु का पता चला तो उसे बहुत दुःख हुआ। गुस्से में उसने भगवान शिव को शाप दिया कि उन पर तुलसी की पत्ती कभी नहीं चढ़ाई जाएंगी। यही कारण है कि शिव जी की किसी भी पूजा में तुलसी की पत्ती नहीं चढ़ाई जाती है।
नारियल पानी :-
शिव जी की पूजा नारियल से होती है लेकिन नारियल पानी से नहीं। क्योंकि शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली सारी चीज़ें निर्मल होनी चाहिए यानि जिसका सेवन ना किया जाए। नारियल पानी देवताओं को चढ़ाए जाने के बाद ग्रहण किया जाता है इसीलिए शिवलिंग पर नारियल पानी नहीं चढ़ाया जाता है।
हल्दी :-
शिवलिंग पर कभी हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है क्योंकि यह महिलाओं की सुंदरता को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती है और शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है।
कुमकुम :-
सिंदूर या कुमकुम हिंदू महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए लगाती हैं। जैसा की हम जानते हैं कि भगवान शिव विध्वंसक के रूप में जाने जाते हैं इसलिए शिवलिंग पर कुमकुम नहीं चढ़ाया जाता है।