12 सूत्रीय मांगों के लिए फिर से सड़क पर उतरेंगे करोड़ो कर्मचारी
नई दिल्ली। समान काम के लिए समान वेतन का वादा मोदी सरकार के लिए आने वाले दिनों में मुसीबत बन सकता है। केंद्र सरकार एक साल पहले कांट्रैक्ट वर्कर्स को स्थाई कर्मचारियों के बराबर वेतन देने के वादे पर कदम नहीं बढ़ा पाई है।
इसके अलावा आशा वर्कस और मिड डे मील वर्कस को को पीएफ और मेडिकल बेनेफिट देने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
ट्रेड यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि मोदी सरकार ने वर्कर्स के हित में किए गए वादों पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। ऐसे में हम संसद का घेराव करने और उसके बाद देशव्यापी हड़ताल करने की रणनीति बना रहे हैं। इसके अलावा भारतीय मजदूर संघ ने 17 नवंबर को संसद का घेराव करने की घोषणा की है।
12 सूत्रीय मांगों के लिए फिर से सड़क पर उतरेंगे करोड़ो कर्मचारी
अपनी 12 सूत्रीय मांगों के लिए सेंट्रल ट्रेड यूनियनों के करोड़ों कर्मचारी एक बार फिर सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस के प्रेसीडेंट संजीव रेड्डी ने मीडिया पर्सन को बताया कि हम नवंबर में अपनी मांगों को लेकर संसद का घेराव करेंगे। इसके बाद ट्रेड यूनियन अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर देश भर में हड़ताल कर सकती हैं।
भारतीय मजदूर संघ भी आएगा सड़क पर
वर्कर्स को बेहतर वेतन और सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने के वादे पूरा न होने के विरोध में भारतीय मजदूर संघ ने भी 17 नवंबर को संसद का घेराव करने की घोषणा की है। भारतीय मजदूर संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय का कहना है कि केंद्र सरकार ने वेज कोड बिल संसद में पेश किया है। इस बिल में वर्कर्स के हित में कई प्रावधान किए गए हैं। लेकिन अब भी मोदी सरकार ने अपने तमाम वादे पूरे नहीं किए हैं। इसके विरोध में हम संसद का घेराव करेंगे।
भारतीय मजदूर संघ ने हड़ताल से खुद को रखा था अलग।
पिछले साल 12 सूत्रीय मांगों को लेकर 11 सेंट्रल ट्रेड यूनियनों से देश व्यापी हड़ताल की थी। उस समय भारतीय मजदूर संघ ने खुद को इस हड़ताल से अलग रखा था। केंद्र सरकार ने भारतीय मजदूर संघ के साथ बातचीत की थी और समान काम के लिए समान वेतन सहित वर्कर्स के हित में कई कदम उठाने का वादा किया था।