देश की बात :- देश सेवा के साथ रोजगार का नया अवसर, 4 साल के लिए युवा देंगे सेना में सेवा।
आज अग्निपथ योजना की घोषणा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा की गयी ।
अग्निपथ योजना की घोषणा पर उन्होंने कहा कि इससे युवाओ के लिए रोजगार अवसर बढ़ेंगे।
अब युवाओ को अग्निवीर सेवा के दौरान अर्जित क्षमता और अनुभव से उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार भी प्राप्त होंगे.

सरकार द्वारा इस अग्निपथ योजना के अंतर्गत यह प्रयास किया जा रहा है।
अग्निपथ स्कीम के तहत भर्ती के लिए कौन पात्र होगा और क्या क्या सैलरी-सुविधाएं युवाओं को मिलेंगी, इसकी पूरी जानकारी आपको बताते चलते है।
क्या है इसके लिए नियम व शर्ते कौन बन सकेगा अग्निवीर?
अग्निपथ योजना में में भर्ती के लिए युवाओं की आयु 17 साल 6 महीने से 21 महीने के बीच होनी आवश्यक है।
वही युवाओं को ट्रेनिंग समय समेत कुल 4 वर्षों के लिए आर्म्ड सर्विसेज़ में सेवा का अवसर मिलेगा।
वही चाहे यह योजना नई क्यो ना हो भर्ती के लिए सेना के तय नियमानुसार ही रहेगी।
तनख्वाह के साथ मिलेंगे अन्य भत्ते भी जैसे
वार्षिक पैकेज के रूप में रिस्क एंड हार्डशिप अन्य जैसे राशन, ड्रेस और ट्रैवल एलाउंस शामिल होंगे।
सेवा के दौरान अगर अग्निवीर के डिसेबल होने पर नॉन-सर्विस पीरियड का फुल पे और साथ मे इंट्रेस्ट भी मिलेगा
वही इसमें ‘सेवा निधि’ को भी जोड़ा गया है जो पूरी तरह से आयकर से छूट प्राप्त होगा ।
लेकिन इसमें एक ध्यान रखने वाली बात यह है कि अग्निवीर ग्रेच्युटी और पेंशन संबंधी लाभों के हकदार नहीं होंगे।
वही युवाओ को अग्निवीर के रूप में भारतीय सशस्त्र बलों में उनकी अवधि के लिए 48 लाख रुपये का गैर-अंशदायी जीवन बीमा कवर प्रदान किया जाएगा।
वही जानकारी देते हुए बताया गया है कि इस सेवा निधी से युवा वित्तीय रूप से सशक्त बन सकेंगे और
अपनी युवावस्था में चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर, प्रोफेश्नल और पर्सनल रूप से परिपक्व और आत्म-अनुशासित हो सकेंगे।
अग्निवीर के कार्यकाल के बाद लगभग 11.71 लाख रुपये की सेवा निधि अग्निवीर को वित्तीय दबाव के बिना अपने भविष्य के सपनों को आगे बढ़ाने में मदद करेगी।
वही युवाओ को
4 साल बाद सेना भर्ती के लिए स्वयंसेवक बनने का भी मौका मिलेगा इसके अलावा
सेना 25 फीसदी अग्निवीरों को आगे भी सेवा में रखेगी जो निपुण और सक्षम होंगे।
हालांकि इसमें यह कहा गया है कि यह तभी संभव होगा अगर उस समय सेना में भर्तियां निकलीं हों।
इस प्रोजेक्ट की वजह सेना को करोड़ों रुपये की बचत भी हो सकती है।